रजनीगंधा के फूलो की खुशबु
आ जाती थी अक्सर
ही मेरे कमरे में
वो भी बिना कुछ आवाज किये
चुपचाप दबे पाँव
आ जाती थी अक्सर
ही मेरे कमरे में
वो भी बिना कुछ आवाज किये
चुपचाप दबे पाँव
हवा के सहारे
मैं भी अक्सर चुप ही रहता
और आने देता उसको
मैं भी विचरने देता उसे
अपने सारे घर में
मैं जब भी खोया रहता सपने में
उसकी खुशबु आ जाती मेरे सपनो में
कभी-कभी तो अपने साथ
बेला ली खुशबु भी लाती
दोनों मिल कर
हवा के पर पर सवार हो जाती
और सारे घर में उधम मचाती
अब तो आ जाती है कभी-कभी धोखे से
क्यों की उसका ठिकाना जो बदल गया है
---------------देव------------ -----
मैं भी अक्सर चुप ही रहता
और आने देता उसको
मैं भी विचरने देता उसे
अपने सारे घर में
मैं जब भी खोया रहता सपने में
उसकी खुशबु आ जाती मेरे सपनो में
कभी-कभी तो अपने साथ
बेला ली खुशबु भी लाती
दोनों मिल कर
हवा के पर पर सवार हो जाती
और सारे घर में उधम मचाती
अब तो आ जाती है कभी-कभी धोखे से
क्यों की उसका ठिकाना जो बदल गया है
---------------देव------------

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