जानते हो न मै कौन हूं
चलो मै ही बता देता हूं
मै छाता हूं
मै नही जानता
मेरी शुरुआत कैसे हुई
बस इतना जानता हूं
जबसे हूं इंसानो की सेवा में लगा हूं..
तेज धूप हो
या फिर तेज बारिश
खींच कर तान देते हो
मुझे अपने ऊपर
काले रंगो से मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार है
भले ही तुमने मुझे रंग बिरंगा बनाकर
छतरी नाम रख दिया
मै ही तो धूप और बरसात झेलता हूं
बरसात में तो सड़को पर बस छाते ही चलते हैं
जैसे खुद ही चल रहे हो
या फिर भाग रहे हो
एक दूसरे को पीछे करने के लिए
पर उसके हाथो में आना चाहता हूं
जो भीगता है बारिश में
और जल जाना चाहता है तेज धूप में
कितनी ही कोशिशे की
उसके हाथो में जाने की
पर हर बार नाकाम रहा...
मुझे सब बारिश और धूप में याद करते हैं
बाकी समय मै पड़ा रहता हूं
किसी कोने में
जैसे किसी कोई फर्क ही न हो
मेरे होने या न होने से चाहे
मुझे चूहे कुरत दे
या फिर दीमक चट कर जाए
पर क्या फर्क पड़ता है
तुम इंसानो को
मै तो बस एक र्निजीव सा छाता हूं
कभी सोचा तुमने मै तुम्हारी इज्जत और शरम हूं
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-------#देव

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