Monday, November 5, 2012

आज कल वो उदास रहने लगे
जैसे की गर्मी के दिनों में 
नदी उदास रहती है
क्यों नहीं समझते तुम्हारी तुलना 
मै क्यों नदी से करता हूं
आता है बारिश का मौसम 
छम छम बरसता है पानी 
फिर वो बहने लगती है अपनी गति से
उसी तरह तुम भी नदी बन जाओ 
पर तुम न करो बारिश का इंतज़ार
फिर से खुश हो जाओ तुम 
बहने लगो अपनों धारा में
पर ध्यान रहे अपनी मर्यादा 
तोड़ न देना बाँधो को
क्यों की उसी राह पर कुछ
लोगो के घर बसते है 
तुम अपनी ख़ुशी में
किसी को दुख मत देना

======देव======

Saturday, October 20, 2012

कभी-कभी नहीं
अक्सर ये होता है
परेशां वो होता है
और बीमार ये होता है


---------देव-----------

ज़ालिम दुनिया ही नहीं
कोई और भी है
खुद प्यार करने वाला
ही बन जाता है
अपने प्यार का दुश्मन

फिर भी कहता 
ये बात कुछ और है


-----------देव------------
अरमान बिखर जाते है
यूँ ही हवा के हलके से झोको में
कहता है खुद को 
पत्थर दिल अब भी
ये भी नहीं जनता
पत्थर हवा में नहीं उड़ते


-------------देव----------------

Wednesday, October 17, 2012

माँ
एक ऐसा शब्द जो सम्पूर्णता का एहसास दिलाता है 
जिसके बिना संसार की कल्पना नहीं कर सकते 
आइयें उसी आदि शक्ति की आराधना करे
हे आदि शक्ति तुम ही से 
ये संपूर्ण विश्व है


-------------------देव --------------------
 रजनीगंधा के फूलो की खुशबु
आ जाती थी अक्सर 
ही मेरे कमरे में
वो भी बिना कुछ आवाज किये
चुपचाप दबे पाँव
हवा के सहारे
मैं भी अक्सर चुप ही रहता
और आने देता उसको
मैं भी विचरने देता उसे
अपने सारे घर में
मैं जब भी खोया रहता सपने में
उसकी खुशबु आ जाती मेरे सपनो में
कभी-कभी तो अपने साथ
बेला ली खुशबु भी लाती
दोनों मिल कर
हवा के पर पर सवार हो जाती
और सारे घर में उधम मचाती
अब तो आ जाती है कभी-कभी धोखे से
क्यों की उसका ठिकाना जो बदल गया है

---------------देव-----------------