Monday, November 5, 2012

आज कल वो उदास रहने लगे
जैसे की गर्मी के दिनों में 
नदी उदास रहती है
क्यों नहीं समझते तुम्हारी तुलना 
मै क्यों नदी से करता हूं
आता है बारिश का मौसम 
छम छम बरसता है पानी 
फिर वो बहने लगती है अपनी गति से
उसी तरह तुम भी नदी बन जाओ 
पर तुम न करो बारिश का इंतज़ार
फिर से खुश हो जाओ तुम 
बहने लगो अपनों धारा में
पर ध्यान रहे अपनी मर्यादा 
तोड़ न देना बाँधो को
क्यों की उसी राह पर कुछ
लोगो के घर बसते है 
तुम अपनी ख़ुशी में
किसी को दुख मत देना

======देव======