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फिर गूञ्ज रही है
मेरे कानो मे वो ध्वनि
सम्वेद्ना से भरे दो शब्द
जिससे न कह पाया कभी
वो अब भी आता है
चौखट पर मेरे
धीरे से होती है आहट
और वो धीरे से होने वाली आहट
गूञ्जती है कई दिनो तक कानो मे
निरन्तर बिना किसी अवरोध के
और मै खो जाता हु उसी मे
-
-------------#देव
फिर गूञ्ज रही है
मेरे कानो मे वो ध्वनि
सम्वेद्ना से भरे दो शब्द
जिससे न कह पाया कभी
वो अब भी आता है
चौखट पर मेरे
धीरे से होती है आहट
और वो धीरे से होने वाली आहट
गूञ्जती है कई दिनो तक कानो मे
निरन्तर बिना किसी अवरोध के
और मै खो जाता हु उसी मे
-
-------------#देव
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